जुबां पर बात दिल की ला न पाये। हम अपने आप को समझा न पाये।। कहाँ मुमकिन है उनके पास जाना, हम अपने पास तक भी आ न पाये।। कहीं वे भीड़ में गुम हो गए हैं, हम उनके सामने भी जा न पाये।। न हम उनके सिवा कुछ सोचते हैं- वे हमको आज तक अपना न पाये।। न जाने किस तरह की बंदिशें हैं, जुबां पर नाम तक भी ला न पाये।। कोई संगीत वे भी दे न पाये, अकेले हम कभी भी गा न पाये।। समर्पित काश उनको जान पाते, जो जाते वक्त भी बतला न पाये।।

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